एक सुबह जब देर होने पर भी, बिलकुल नहीं हम बड़बड़ायें। एक सुबह जब देर होने पर भी, बिलकुल नहीं हम बड़बड़ायें।
निज भाषा को अपनायें निज संस्कृति के मोती पायें निज भाषा को अपनायें निज संस्कृति के मोती पायें
जुल्म और जुर्म में बताते थे जो कभी अंतर, अब जुर्म कर रहे वो और जुल्म सह रहे हैं वो। जुल्म और जुर्म में बताते थे जो कभी अंतर, अब जुर्म कर रहे वो और जुल्म सह रहे ह...
सलाम, तेरी समझ को सलाम, तेरे गुरूर को वाह ! पुरूष क्या सोच तुम्हारी। सलाम, तेरी समझ को सलाम, तेरे गुरूर को वाह ! पुरूष क्या सोच तुम्हारी।
मुहल्ले ना पहली बार कुटुंब में कीच कीच कबीलों नई कलह मुहल्ले ना पहली बार कुटुंब में कीच कीच कबीलों नई कलह
दुष्ट सोचे सदा है कलह के लिए, विष सोचे हमेशा मरण के लिए, दुष्ट सोचे सदा है कलह के लिए, विष सोचे हमेशा मरण के लिए,