एक सुबह जब देर होने पर भी, बिलकुल नहीं हम बड़बड़ायें। एक सुबह जब देर होने पर भी, बिलकुल नहीं हम बड़बड़ायें।
चलो, जब सुलह संभव नहीं हम दोनों में, तो रास्ते बदल लेते हैं, चलो, जब सुलह संभव नहीं हम दोनों में, तो रास्ते बदल लेते हैं,
चार छः दिन , ननिहाल रह कर, पोता घर लौटा । धड़धड़ाते हुए सीधे दादा से मिलने पहुँचा। चार छः दिन , ननिहाल रह कर, पोता घर लौटा । धड़धड़ाते हुए सीधे दादा से ...
पोते की पदचाप सुन, दादा के तन में हरकत हुई। पोते की पदचाप सुन, दादा के तन में हरकत हुई।
नाराजगी फिर एक बार रिश्तों से हार गई पोता सेतु बना हर बार सुलह बार बार हुई।। नाराजगी फिर एक बार रिश्तों से हार गई पोता सेतु बना हर बार सुलह बार बार...
सिमटने लगा है किरदार, काबिलीयत के रंगमंच पे अब, सिमटने लगा है किरदार, काबिलीयत के रंगमंच पे अब,