STORYMIRROR

V. Aaradhyaa

Tragedy Inspirational

3  

V. Aaradhyaa

Tragedy Inspirational

जीने की वज़ह लिखती हूँ

जीने की वज़ह लिखती हूँ

1 min
179

ख्वाहिशों के रंग हज़ार लिखती हूँ


अपने जीने की वजहात लिखती हूँ,

ख्वाहिशों के रंग हज़ार लिखती हूँ!


अश्कों की स्याही में कलम डुबोकर,

अपने सारे अधूरे ख्वाब लिखती हूँ!


दिन तो अक्सर गुज़र जाता है यारा,

रातों को बढ़ता हुआ शबाब लिखती हूँ!


पहले डायरी के पन्ने में शेर भरती थी,

अब नज्मों में सारे जज़्बात लिखती हूँ!


तेरी सूरत में कभी मुस्कुराता सूरज,

तो कभी सुन्दर सलोना चाँद देखती हूँ!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy