जी चाहता है
जी चाहता है
जी चाहता है
फिर से जी लूँ
उन लम्हों को
बने थे साखी
जो हमारे पवित्र प्रेम के,
गुज़र गए
जो बरसों पहले,
कर लूँ जीवंत उन्हें,
फिर एक बार... जी चाहता है
अलौकिकता से परिपूर्ण
वो क्षण
जब दो अजनबी
बंध गए थे
प्रेम पाश में...
ऐहिक पीड़ाओं से
अनभिज्ञ हुए थे सराबोर
ईश्वरीय सुख की अनुभूतियों से!
एक स्वप्निले भव का
अभिन्न अंग बन आसक्त हो,
प्रेम के रसपान से मुग्ध,
दिव्यता से आलोकित
प्रकाश पुंज का,
वह बिखराव...
मेरे चित्त को दैहिक बन्धनो से
मुक्त करने को लालयित थे
जो उस अबाध प्रवाह में
बहने को आतुर थे हम
कर लूँ उन क्षणों को
फिर से आत्मसात... जी चाहता है
पूर्णतया तुम में ही
डूब जाने की बेकरारी,
इस संसार को भुलाने को
विवश करती,
तुम्हारी वह कर्ण प्रिय
प्रेम पगी वाणी,
फिर से जी लूँ
वो पलछीन
जी चाहता है...

