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Suman Sachdeva

Drama

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Suman Sachdeva

Drama

जब बच्चे बड़े हो जाते हैं

जब बच्चे बड़े हो जाते हैं

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देखते ही देखते

लम्हे बीत जाते हैं

न जाने कब बच्चे

बड़े हो जाते हैं


वो नन्हे कदम

तोतली सी वो बातें

वो लोरी सुनाके 

बिताई जो रातें

वो गुजरे हुए दिन

बहुत याद आते हैं।


कहां रह गया 

चीखना और चिल्लाना

गले डाल बाहें 

वो झूला बनाना

वो प्यारे से लाड़ अब

क्यों नही लड़ाते हैं।


नित नयी चीजों की

सिफ़ारिश नही है

खाने की कोई

फरमाइश नही है

लड़ना झगड़ना भी

सब भूल जाते हैं।


कब सीख जाते हैं

सब काम करना‌

गिरे खाके ठोकर

तो खुद ही संभलना 

चुपचाप सह लेते 

ज़ख्म न दिखाते हैं।


मत लिया करो

किसी बात को दिल पे

जिंदगी तुम्हारी है

जी लो इसे खुल के 

अब ये बातें 

वो हमें समझाते हैं।


सिलवट नहीं अब तो

बिस्तर में पड़ती

इधर और उधर

नहीं चीजें बिखरती

ये सूने से कमरे

बहुत ही सताते हैं।


 हां पाने को मंजिल

 हुई हमसे दूरी

 सभी ख्वाहिशें जल्दी

 हो जाएं पूरी

 कोई मन की इच्छा 

 रहे न अधूरी

 दुआओं की झोली

 ये तुम पे लुटाते हैं।


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