जब आता है मन में क्रोध
जब आता है मन में क्रोध
जब आता है मन में क्रोध ,
भले-बुरे का तब रहे न बोध।
मन की खुशी सबको ही भाती,
खुद के संग प्रसन्न रहते हैं साथी।
रहें सावधान करते हुए सारे काम,
नियोजित दिनचर्या में करना आराम।
बचपन से बना लें हम ऐसा स्वभाव,
जीवन पर सकारात्मक रहेगा प्रभाव।
शांत चित्त रहें समस्याएं टिक न पातीं,
धैर्य रखें समय पर वे हैं सुलझ ही जातीं।
जब आता है मन में क्रोध ,
भले-बुरे का तब रहे न बोध।
मन की खुशी सबको ही भाती,
खुद के संग प्रसन्न रहते हैं साथी।
जो हम खुद भी हैं खुश रहते,
सबको हैं ख़ुशी बांटते रहते।
बंटाने से ही मुश्किलें घटें सारी,
बांटने से बढ़ती खुशियां हमारी।
खुश रहने से ही आसानी से ही,
जिंदगी हम सबकी है बीत जाती।
जब आता है मन में क्रोध ,
भले-बुरे का तब रहे न बोध।
मन की खुशी सबको ही भाती,
खुद के संग प्रसन्न रहते हैं साथी।