ज-से जागरूकता
ज-से जागरूकता
ज-से जन्म लिया हमने जब,
ईश्वर का आभार मनाया है।
मानव जीवन लेकर हमने,
परम सौभाग्य भी पाया है।
ज-से जननी एक मात्र है,
इस धरती ने कर्ज़ चढ़ाया है।
पालन-पोषण निस्वार्थ किया,
बालक से वयस्क बनाया है।
ज-से जीवन जीने को हमने,
कितने संसाधन व्यर्थ किए।
दूषित जंगल, नदियां व वायु,
और कितने कर्म अनर्थ किए।
ज-से जवाब अब देना होगा,
हमको अपनी संतानों को।
क्या देंगे धरोहर प्रदूषण की,
हम उनकी आंखों कानों को।
ज-से जगत हमारा है यह,
सब यह बात मान लें हम।
हर संसाधन पर सबका स्वामित्व है,
क्यों न मिलकर बांट लें हम।
ज-से जल्द ही समझना होगा,
जीवन में जल की आवश्यकता को।
जल जीवन है और जीवन जल है,
इस हर एक शब्द की तथ्यता को।
ज-से जल की एक-एक बूंद,
अमृत समान महत्वपूर्ण है।
हर रंग भरा अद्भुत संसार,
पंचतत्व से ही सम्पूर्ण है।
ज-से जन-मानस को अब,
मिलकर यह संकल्प उठाना है।
जिस धरती ने पाला है हमको,
उसे फिर से स्वर्ग बनाना है।
