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ca. Ratan Kumar Agarwala

Romance

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ca. Ratan Kumar Agarwala

Romance

इत्तफाक

इत्तफाक

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यूँ उसका घूर घूर कर देखना,

मेरे घर के सामने की उस,

खिड़की में खड़े रहना,

सबेरे सबेरे गुड मॉर्निंग कहना,

क्या एक इत्तफाक था ?

 

मेरी ही राह पकड़ना,

रोज उसी बस में चढ़ना,

शाहदरा से बांद्रा तक,

उसी बिल्डिंग तक सफर करना,

क्या एक इत्तफाक था ?

 

शाम को लिफ्ट में साथ उतरना,

नुक्कड़ की दुकान से चाय पीना,

थोड़ी देर साथ टहलना,

बीच बीच में मेरी ओर तकना,

क्या एक इत्तफाक था ?

 

बस स्टैंड पर रुकना,

एक ही बस में चढ़ना,

पास की सीट पर बैठना,

मेरा हाथ पकड़कर उतारना,

क्या एक इत्तफाक था ?

 

बाग में घंटो बैठे रहना,

एक दूसरे को देखते रहना,

इधर उधर के बातें करना,

फिर मोहल्ले तक साथ आना,

क्या एक इत्तफाक था ?

 

कभी चायपत्ती लेने आना,

कभी सब्जी देने आना,

कभी टीवी ठीक करना,

कभी यूहीं मुस्कुरा देना,

क्या एक इत्तफाक था ?

 

नदी किनारे घंटो बैठना,

कभी साथ में झूला झूलना,

कभी साथ गोलगप्पे खाना,

कभी चाय की चुस्की लेना,

क्या एक इत्तफाक था ?

 

समय बस यूहीं गुजर गया,

वह कहीं दूर चला गया,

अब तो साथ कोई नहीं चलता,

पर याद आते हैं सारे वो पल,

क्या वह एक इत्तफाक था ?

या चाहतों का अरमान था ?


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