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Niru Singh

Romance

3  

Niru Singh

Romance

इत्तफाक

इत्तफाक

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इत्तफाक कहूँ या करिश्मा, 

तेरा यूँ मुझसे मिलना। 

मतलबियों के भीड़ में, कैसे तू अपना बना 

छोड़ देते जहाँ अपने साथ, 

तू वहाँ साया बना ..... 

गर हो तेरा यूँ ही साथ,

तो मुश्किल की क्या औकात। 

मेरे हौसलों को कर तू बुलंद,

तो मंजिल की शिखर पर हो मेरे कदम 

तेरा मिलना इत्तफाक नहीं..... 

अच्छे रहे होंगे कुछ तो मेरे कर्म। 

तू सखा भी,सहचर भी, 

किस रूप में करूँ तेरा नमन। 



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