नारी ने इतिहास रचा
नारी ने इतिहास रचा
हो द्वापर, त्रेता या कलयुग
नारी ने ही रचा इतिहास है
कैकयी ने दिलवाया वनवास राम को,
सूपर्णखा ने जताया स्नेह लक्ष्मण से
तो हुआ हरण सीता का ।
तभी तो सत्य की असत्य पर विजय हुई
नारी ने इतिहास रचा !
कुंती ने दबाया कर्ण का राज था,
गांधारी ने बाँध पट्टी दिया पति का साथ,
अपमानित जो हुई द्रोपदी ,
दिया श्राप कुलनाश का
हुआ महायुद्ध महाभारत का।
न बचा वंश का नाम कहीं।
नारी ने इतिहास रचा !
मचा हाहाकार स्वर्ग लोक में
असुरों से भयभीत हुए देवता ,
ले विनती पहुँचे दुर्गा द्वार,
काली, चंडी,भवानी बन
एक -एक का लहू पिया
शुद्ध स्वर्ग लोक किया।
नारी ने इतिहास रचा !
सिंधल नरेश की पुत्री थी
वह प्रियशी पति की थी
मोहित हो सुंदरता पर
किया आक्रमणअलाउद्दीन ने ,
रखा सम्मान को सँभालकर
बलिदान की मूरत थी पद्मावती
लिया निर्णय जौहर का
राख अलाउद्दीन के हाथ लगी,
नारी ने इतिहास रचा।
युद्ध में निपुण , पिता की दुलारी,
पति की वो प्यारी थी
हुआ निधन ज़ब पति का
उतार आभूषण , कर शस्त्र धारण
खदेड़ा अंग्रेजी सरकार को
बचाया मान स्वदेश का
जगाई अलख आजादी की ।
कोई और नहीं वो रानी लक्ष्मी बाई थी।
सच! नारी ने इतिहास रचा ।
