मौन हूँ मैं!
मौन हूँ मैं!
हाँ मौन हूँ मैं, ज़ब रौँदा जाय मेरे अरमानो को
हाँ मौन हूँ मैं, दायरो की लकिरो में
हाँ मौन हूँ मैं, घेरा जाय ज़ब चार दीवारी में
हाँ मौन हूँ मैं, बाँधा जाय ज़ब रिश्तों में
हाँ मौन हूँ मैं, जिम्मेदारियाँ निभाने में
हाँ मौन हूँ मैं, बेटी बन दहलीज में रहने को
हाँ मौन हूँ मैं, बहू बन संस्कार निभाने को
हाँ मौन हूँ मैं, माँ बन वंश बढ़ाने को
हाँ मौन हूँ मैं, सरे आम बेआबरू होने को
कब तक क्यों मौन रहूँ मैं ? क्यों मौन रहूँ मैं ?
नारी बन जन्मी, ये अपराध नहीं मेरा
ज़ब टूटेगा मौन मेरा, तो ध्वनस होगा तेरा।
बहती निर्मल गंगा हूँ............
टुटा मौन तो रौद्र रूप में बहा ले जाउँगी।
शीतल बयार हूँ........
टुटा मौन तो क्रोध के तूफान से उजाड़ जाउँगी।
शांत हिमालय सी हूँ........
टूटा मौन तो अपने शौर्य का बल दिखलाऊंगी।
नारी बन जन्मी हूँ, है ये अभिमान मेरा।