कुछ ख्वाब अधूरे से
कुछ ख्वाब अधूरे से
कुछ ख्वाब अधूरे से,कुछ सपने बिखरे से!
तेरा खुद में होने का एहसास
कभी कर न पाई।
तुझसे दुनिया की हर खुशी मिले
वो नशीब न पाई।
तेरा धीरे-धीरे बढ़ना,
तेरे एक एक अंग को, महसूस कर न पाई!
तेरी धड़कन खुद में कभी सुन ही न पाई!
मेरी साँसे तेरी साँसों से कभी जुड़ ही न पाई
तेरा डोलना,मुझे गुदगुदा ही न पाया।
तेरा मुझमें होने का एहसास,
मैं कभी देख ही न पाई।
तुझसे मिलती नई पहचान मुझे,
होता मेरा भी पूर्व जन्म तुझमें।
बदलते मेरे भी तो रंग-ठग कई,
छोड़ अपना अल्हड़पन तुझे संभालती,
तेरे नखरे उठाती वो किस्मत ही न पाई।
मेरा अंश मेरे हाथों में होता
उस पल को कभी जी न पाई।
सोती रातों को तू जगाता,
वो रात कभी आई ही नहीं।
पूर्ण तो तुझी से होता नारी जीवन मेरा।
किसी और के कर्मो की सजा मैंने पाई
मैं कभी माँ न बन पाई !