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Simran Sardana

Romance

4.8  

Simran Sardana

Romance

Ishq

Ishq

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मेरे दिल में है क्या

वो तो मालुम बस तुझे है


मेरे मन में कितने ही

हज़ार ख्याल है

वो भी ज़रूर तुझे पता है


मेरे इस चेहरे से

सब जान लेने की

आदत भी बस तेरी है


तेरे दिए ये तोहफे इतना शायद

मुझे खुश न करे कभी

जितनी तेरी एक हसी कर जाती है


तेरी अनगिनत बातें

तेरी अजीब हरकतों से भरी तसवीरें

तेरा मुझे गले से लगाना

और दूर न करना

तेरा बीच रास्ते

मेरा हाथ थाम लेना

और मेरा बस

तुझे देखना

नज़रे झुकाना

थोड़ा शर्माना

और मुस्कुराना


अगर ये सब इश्क़ नहीं

तो और क्या है भला?


उन तीन शब्दों की शायद

ज़रूरत नहीं

वो तो

दुनिया ने बनाये है

इश्क़ तो दिल से

जान से

मन से

रूह से

होता है


और वो?

है मुझे तुझसे


और तुम्हे?

है इश्क़ मुझसे


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