Ishq
Ishq
मेरे दिल में है क्या
वो तो मालुम बस तुझे है
मेरे मन में कितने ही
हज़ार ख्याल है
वो भी ज़रूर तुझे पता है
मेरे इस चेहरे से
सब जान लेने की
आदत भी बस तेरी है
तेरे दिए ये तोहफे इतना शायद
मुझे खुश न करे कभी
जितनी तेरी एक हसी कर जाती है
तेरी अनगिनत बातें
तेरी अजीब हरकतों से भरी तसवीरें
तेरा मुझे गले से लगाना
और दूर न करना
तेरा बीच रास्ते
मेरा हाथ थाम लेना
और मेरा बस
तुझे देखना
नज़रे झुकाना
थोड़ा शर्माना
और मुस्कुराना
अगर ये सब इश्क़ नहीं
तो और क्या है भला?
उन तीन शब्दों की शायद
ज़रूरत नहीं
वो तो
दुनिया ने बनाये है
इश्क़ तो दिल से
जान से
मन से
रूह से
होता है
और वो?
है मुझे तुझसे
और तुम्हे?
है इश्क़ मुझसे