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Karuna Awasthi

Romance

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Karuna Awasthi

Romance

इश्क़ नहीं आसान

इश्क़ नहीं आसान

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लोग कहते हैं आशिक़ी पूजा है, सपनों की जन्नत है

मुझे महसूस हुआ आशिक़ होकर, अशिक़ी आफत है ।।


चैन तो पहले ही नसीब ना था, अब नींदों ने भी किनारा कर लिया

मह्फिलो से तन्हाइयां अच्छी कब हो गई , मैने खुदको बेसहारा कर लिया ।।


अपने जज्बात किसे करुँ बयां, कोई समझ नही पायेगा

रोते हुए हँसता हूँ जगते हुए सोता हूँ , मुझे पागल ही समझा जायेगा।।


आधी रात जाग कर मेसजस देखूँ,, फिरभी अलार्म से पहले जागता हूँ

वो फिर टकरायेगी लिफ्ट फिर अटक जाएगी, उठके सीधा ऑफिस भागता हूँ ।।


प्यार में इन्सान से मशीन हो चला हूँ , हफ्तों के काम एक दिन मे कर देता हूँ

कोई कसर नहीं रही पागल होने मे, सिंक मे कपड़ें और टब मे बरतन भर देता हूँ ।।


जड़ों के इस पसीने ने अब थक गया में , कल उसे सब कह डालूंगा ।।

वो समझे की ना समझे जज्बात, कम से कम चैन की सांस लूंगा ।।


इश्क़ नहीं आसान कहीं पर सुना था, इस बेचैनी को खुद चुना था

अंदर सुलगता हूँ बाहर संभलता हूँ , दिवारों से भी बच बच के चलता हूँ ।।











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