रंगों का खेल
रंगों का खेल
रंगों के खेल निराले, लाल गुलाबी पीले काले
हँसते मुस्कुराते खिलखिलाते, चुपचाप करते बातें।
रंगी जिन्दगी रंगी महफिल,
सबको रंग दिया नदी, पहाड़, सागर, साहिल।
जिन्दगी के जज्बतों को, हमारे ख्यालों को,
करते बयाँ सब सबलों को।
नीला अम्बर पीला खेत, हरे पेड़ कली रेत
हर रंग कुछ कहता है, रंगों का कारवाँ दिल में रहता है।
साफ आसमान कर्तव्य सिखाता,
काला आसमान बूंदों का आँचल उड़ाता।
सूरख सुबह बहार लाता, कली रात सुकून दिलाती
अचंभित हूँ रंगों की कारीगरी देख,
खुश हूँ मेरी जिन्दगी में है ये रंग अनेक।।