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Dr. Gopal Sahu

Romance Others

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Dr. Gopal Sahu

Romance Others

इश्क़ को लाल गुलाब करने की...

इश्क़ को लाल गुलाब करने की...

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कोशिशें बेहिसाब थी इश्क़ को लाल गुलाब करने की।

मग़र! कुछ काँटों को मेरा फ़ना होना रास नहीं आया।।


वर्षों से भरम था मुझे इश्क़ में इत्र ए गुलाब होने का।

मग़र! मेरा नवाज़ी के क़रीब होना रास नहीं आया।।


कद्र हुआ मेरा कहीं मंदिर में तो कहीं मस्जिद में भी।

मग़र! ख़ुदा के करीब होना, ख़ुदी को रास नहीं आया।।


दौर चलता रहा इल्ज़ामों का एक दूजे से बेहतर होने का।

मग़र! फूलों में मेरा बेहतरीन होना रास नहीं आया।।


फ़िज़ाओं का रंग भी बदल गया ख़िज़ांओं के मौसम में।

मग़र बेमौसम बादल का बरसना, ज़मीं को रास नहीं आया।।


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