इश्क़ की दुनिया
इश्क़ की दुनिया
इश्क़ की दुनिया, अब हमें रास नहीं आती,
विश्वास की नाज़ुक , डोरी जो टूट गई है,
हाथ थामकर रखे थे, जिस प्रेम पगडंडी पे क़दम,
बहकते क़दमों से अब वो, पगडंडी छूट गई है,
छीना था तुम्हें तक़दीर से, कर्मों से गंवाया है,
कहाँ सँभालूँ इश्क़ तेरा, मन की गागर ही फूट गई है,
रोशन थी इश्क की रोशनी से ,ज़िन्दगी की गलियाँ,
अब भटकते हैं अँधेरों में, हमसे, रोशनी ही रूठ गई है,
धड़कता है दिल बार बार , यादों में मोहब्बत की,
मेरी हाथों की लकीरों को ,खुद क़िस्मत ही लूट गई है।।