चाय और यादों की दुनिया
चाय और यादों की दुनिया
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कुछ भूली बिसरी यादें हैं जो अक़्सर ज़हन में चली आती हैं,
लगा जाती हैं कुछ ज़ख्मों पर मरहम, कुछ ज़ख़्म उधेड़ जाती है,
चाय के धुँए में उड़ा देते हैं कुछ दर्द दिल का, कुछ पी जाते हैं,
लिपटी रहती हैं यादें ,तो ज़िन्दगी को खुल कर कहाँ जी पाते हैं,
अलग भी नहीं कर सकते उन यादों को, इस ज़िस्म का हिस्सा जो है,
उन यादों में बसा इस ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण किस्सा जो है,
चाय पीकर इस मन का कुछ बोझ कर कर लेते हैं,
कुछ इस तरह से हम अपनी , जिंदगी बसर कर लेते हैं।।