चंचल मन
चंचल मन
ज़िन्दगी आ खड़ा कर दें आज तुझे ,सवालों के घेरे में,
क्यों गुज़रें हैं कुछ लम्हे तेरे , ग़म के गहन अंधेरे में,
तेरी दी हुई पीड़ा में भी हम , ए ज़िन्दगी मुस्कुराते रहे,
गमगीन सुरों को भी हम , सतरँगी सुरों से सजाते रहे,
छिपा कर रखी है दामन में ,कुछ ख़ुशी अपने हिस्से की,
बांध रखा है इस चंचल मन को, यादों में एक किस्से की,
क्यों नहीं सुनने देती हमें , तू चन्द खुशियों के तराने से
हमें भी मुस्कुराने दे खुल के तू भी हँस दे किसी बहाने से,
फिर मेरे दिल को , वो बीते ज़माने के अहसास दे दे,
ज़िंदगी आ मेरी बेचैनियों को, खुशियों की सौगात दे दे ।।