इश्क़ के खत
इश्क़ के खत
तुझ से इश्क़ करना हो ज़ुर्म अगर,
है मंज़ूर मुझे गिरफ़्तार हो जाऊँ।
तुझ को चाहना हो लाइलाज़ मर्ज अगर,
है मंज़ूर मुझे बीमार हो जाऊँ।
तुझ को मांगना हो महंगा कर्ज अगर,
है मंज़ूर मुझे कर्ज़दार हो जाऊँ।
तू जो रखे हो रोज़ा या हो व्रत अगर,
तो है मंज़ूर मुझे इफ़्तार हो जाऊँ।