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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance

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Rajiv Jiya Kumar

Abstract Romance

इश्क तुम हो

इश्क तुम हो

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हर घड़ी

तेरी याद 

तेरी कही बात 

तेरी निगाह का

अनकहा सा जादू

तेरे बदन की

मदहोश करती

यह खुशबू

बस हर बार 

कहती थकती नहीं

सनम इश्क तुम हो।।


जाने जां

तेरी हर अदा

करती है हर शै से

तुम्हें अलहदा 

हमने माना

तुम्हें अपना खुदा

जो साँस साँस 

इस काया में

भर जाती है

जब तुम हो संग

लहर लहर 

धड़कन की

यह गुनगुनाती है

सनम इश्क तुम हो।।


तुम्हारे आगोश में

मदहोश हम

तुम्हारे लब 

के लाली से

रंगे दीवाने हम

तुम्हारी बिंदियाँ 

की चमक में

दमकते हम

झूम झूम 

बस यह कहते हैं

सनम इश्क तुम हो।।

        


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