इश्क मेरी जिन्दगी
इश्क मेरी जिन्दगी
तू मेरी जिन्दगी में इस कदर है समाया,
कि जैसे धागे में मोती पिरोया।
इंद्रधनुष के रंगों जैसी तेरी मोहब्बत ,
जिसने मेरे तन मन को रंगीन बनाया।
तेरी चाहत का ऐसा नशा छा गया है,
कि रुह भी मदहोश रहने लगी है।
तेरी यादों की खिड़की खुली छोड़ रखी,
हर एक लम्हे को तेरा इन्तजार है।
अब तो साँसे भी बोझ सी लगने लगी है,
हर धड़कन तेरा नाम ले के चल रही है।
तेरी चाहत के दर्द से हुए आँखें नम,
इश्क की आग में हम जले जा रहे हैं।
तेरी यादों ने ख्वाबों का एक मन्दिर बनाया,
इश्क को माना खुदा इबादत किए जा रहे हैं।
तेरी आँखों में चाहत बन के रहूँ,
तेरे दिल में मेरी प्रीति पनपती रहे।
तू मुझे याद रखे मैं तुझमें समाऊँ,
लाख दूरियाँ भी हमको जुदा कर न सके।