इश्क की बुनियाद।
इश्क की बुनियाद।
वो संगीत की,
महारथी थी,
जब भी वाद्य यंत्र बजाती,
जंगल से हिरण, पक्षी,
और जानवर,
उसके पास इकट्ठे हो जाते,
उसके संगीत में,
खो जाते।
संगीत की लय का,
घंटों सौपान करते,
बस बेसुध,
उसकी मधुर ध्वनि में,
पड़े रहते।
वो भी बजाती रहती,
जब तक,
दिन नहीं ढलता।
एक दिन,
वो संगीत बजा रही थी,
समा बंध चुका था,
सब उसके संगीत के,
नशे में,
बेसुध थे।
तभी घोड़े के,
टापों की आवाज आई,
लेकिन वो,
बेसुधी से बजाती गई।
उसके संगीत की ओर,
घुड़सवार खिंचता,
चला आया।
धीरे से उतरा,
घोड़े को बांधा,
और उसके संगीत की धून में,
बेसुध हो गया।
ऐसा मधुर संगीत,
उस संगीत प्रेमी ने,
पहले कभी न,
सुना था।
संगीत जैसे जैसे,
बजता गया,
वो उसकी धूनों में,
खोता गया।
अंत में,
उसके प्यार में,
गिरफ्तार हो गया।
अब जब जब संगीत बजता,
उसका घोड़ा,
उसे लेकर,
उसके पास,
आ पहुंचता।