इस पल
इस पल
वाक़िफ इस ज़माने की हकीक़त से
धुएं के शोर और अजनबी सन्नाटों से
बेपरवाह अनजाने अंजामों से
मैं तो इस पल को जी कर ही खुश हूं।
किसी और याद के आ जाने से
कुछ थोड़ा थोड़ा भूल जाने से
कुछ और मालूम हो जाने से
मैं तो इस पल में खो कर ही खुश हूं।
ज़िन्दगी के अपने खेलों से
दिलों के अपने मेलों से
दौड़ती भागती रेलों से
मैं तो इस पल में रुक कर ही खुश हूं।
आलीशान से दिखते मकानों में
नए नए आशियानों में
और ना जाने कितने फसानों में
मैं तो इस पल में रह कर ही खुश हूं।