STORYMIRROR

Pramila Singh

Classics

5.0  

Pramila Singh

Classics

देवता के मानवीय गुण

देवता के मानवीय गुण

1 min
564


वह था माखन चुराने वाला भी 

वहीं था धर्म की राह दिखाने वाला भी

कभी था वह धर्म की राह पर अडिग

कभी रण छोड़कर भागने वाला भी

कभी गोपियों के चीर चुरा कर उनको सताया

और कभी चीर बढ़ाकर द्रुपद सुता को बचाया

 कभी इतने विनम्र की सुदामा के चरण पखारे

कभी इतना गर्व कि यह संसार कुछ नहीं बिना हमारे

मानव जीवन की भूमिका मोहन ने क्या खूब निभाई

कभी उज्ज्वल चरित्र रहा कभी रह गई थोड़ी रुसवाई

हम में हर एक में है उस मोहन की परछाई



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics