स्त्री
स्त्री
सदा सौभाग्यवती रहो का आशीर्वाद
आखिर क्यूं
इसलिए कि पति सुख देगा
खुशी देगा या पत्नी बनने से सारी खुशियां मिल जायेंगी
कभी कोई पूछता ही नहीं
बस दे देते हैं दुआयें
सदा सुहागन रहो ,पूतो फलो
स्त्री को प्रेम पाने, सुरक्षित रहने का और
जिससे ब्याही जा रही हैं
एक इंसान समझ कर
अगर वो जानवर सा सलूक करे
तो लौट आये स सम्मान घर
तब उसे सम्मान और संस्कार की दुहाई न दी जाय
पुरूष विवाह करता है
सम्मान पाने के लिए
अपने हजार अवगुण छुपाने के लिए
पुरूष का सच्चा रूप केवल
उस स्त्री को पता होता है
जो उसके साथ ब्याह कर के आई है
पुरूष घर से बाहर चाहे
जितना सभ्य और शालीन दिखे
हैवानियत देहरी के भीतर दिखाता है
सब कुछ पुरूष के हिसाब से हो
मेरे घर मैं ऐसा होता
मैं ऐसे रहता
मेरा बचपन ऐसा था
मेरी मां ,बहन ,पिता जी ,गली मुहल्ले ,दोस्त
अपने सपने सब याद रहते
घर अच्छे से चलाना
फालतू खर्च नहीं करना
खूब सज धज कर रहना
आजाद रहो विंदास रहो
पर जुबान कभी मत खोलना
पुरूष कितने चतुर और शातिर
होते विवाह के मामले मैं
और स्त्रियां कितनी मूरख
तभी तो कह रही कि
गीतों ,गजलों और कविताओं मैं
पुरूष का मुखडा चांद सा क्यूं नहीं होता
मार और आरोपों को सह कर जीना
बडा कठिन कार्य होता एक स्त्री के लिए
मैं अगर अपनी बात कहूं
तो रिक्त रहना सुखकर है
ऐसे पुरूष के साथ से
जिसके लिए छोड आओ सब कुछ
उसके साथ रहो उम्रभर
वो प्रेम न करे जिंदगीभर
जिसके लिए पत्नी या उससे जुडे रिश्ते
अनिवार्य न हों
पत्नी जिसके लिए विकल्प हो
कोई बात नहीं
स्त्री तो संवेदनाओं मैं भी खुश रह लेती है
दिखावा भी करे पुरुष
स्त्री रत्ती भर भी क्लेश नहीं रखती मन मैं
चाहे पुरूष उसे प्रेम करे न करे
रहती है उस घर मैं
जो उसका कभी होता ही नहीं।