STORYMIRROR

कल्पना रामानी

Classics

3  

कल्पना रामानी

Classics

देवों में जो प्रथम पूज्य है

देवों में जो प्रथम पूज्य है

1 min
268

देवों में जो प्रथम पूज्य है

शीघ्र सँवारे सबके काम।

मंगल मूरत गणपति देवा

है वो पावन प्यारा नाम।


भक्ति भरा हर मन हो जाता

भादो शुक्ल चतुर्थी पर

सुंदर सौम्य सजी प्रतिमा से

हर घर बन जाता है धाम।


भोग लगाकर पूजा होती

व्रत उपवास किए जाते

गणपति जी की गाई जाती

मन से आरती सुबहो-शाम।


चल पड़तीं जब सजी झाँकियाँ

ढोल मंजीरे साथ लिए

झूम उठता यौवन मस्ती में

सड़कों पर लग जाता जाम।


फिर फिर से हर साल विराजे

देव यही अभिलाषा है

विनती हो स्वीकार हमारी

करते शत-शत बार प्रणाम। 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics