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Rashmi Lata Mishra

Classics

3  

Rashmi Lata Mishra

Classics

बादल बरसे

बादल बरसे

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बूंदों की रिमझिम के समय ये

बादल बरसे, बादल बरसे।

आती थी बस काली घटाएं

कई दिनों तक खूब यह तरसे।


मोरों ने जब नाच दिखाया

इंद्रदेव का मन भर माया

तब जाकर के बादल बरसे।


सूर्य देव ने कृपा दिखाई

सागर जी से टेर लगाई

उड़ी लहर जब भाप सी बनके,

तब जाकर के बादल बरसे।


ठंडी ठंडी चलें हवाएं

 पर्वत से जब जा टकराए

हरे हरे पेड़ों से उलझे

तब जाकर के बादल बरसे।


पिया परदेशी लौट न आये

मेघों से संदेश भिजाये

बिरहन का मन प्यासा तरसे

तब जाकर के बादल बरसे।


हां देखो जी बादल बरसे।


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