कितना हसीन है
कितना हसीन है


बरसात का ये मौसम, कितना हसीन है !
धरती गगन का संगम, कितना हसीन है !
जाती नज़र जहाँ तक, बौछार की बहार
बूँदों का नृत्य छम-छम, कितना हसीन है !
बच्चों के हाथ में हैं, कागज़ की किश्तियाँ
फिर भीगने का ये क्रम, कितना हसीन है !
विहगों की रागिनी है, कोयल की कूक भी
उपवन का रूप अनुपम, कितना हसीन है !
झूलों पे पींग भरतीं, इठलातीं तरुणियाँ
सावन सुनाता सरगम, कितना हसीन है !
मित्रों का साथ हो तो, आनंद दो गुना
यह गुनगुनाता आलम, कितना हसीन है !
हर मन का मैल मेटे, सुखदाई मानसून
हर मन का नेक हमदम, कितना हसीन है !