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V. Aaradhyaa

Romance Classics

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V. Aaradhyaa

Romance Classics

खुलकर किया इज़हार

खुलकर किया इज़हार

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अब बीच राह में मुझे छोड़कर कभी भी मत जाना !

तुम ही हो सहारा मुझसे मुँह मोड़कर नहीं जाना !


हाथ ज़ब थामा है मेरा तब कभी छुटने नहीं देना !

साथ तुम मेरा दो और कभी आस टूटने नहीं देना !


जीवन में जो प्रेम की कलकल नदियां बहती हैं !

तेरी बातें मुझसे हर मौज में वो यही तो कहती हैं !


महकता रहे प्रीत का यह खूबसूरत सा हरसिंगार !

कर दिया मैंने उनसे खुलके मोहब्बत का इज़हार !


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