खुलकर किया इज़हार
खुलकर किया इज़हार
अब बीच राह में मुझे छोड़कर कभी भी मत जाना !
तुम ही हो सहारा मुझसे मुँह मोड़कर नहीं जाना !
हाथ ज़ब थामा है मेरा तब कभी छुटने नहीं देना !
साथ तुम मेरा दो और कभी आस टूटने नहीं देना !
जीवन में जो प्रेम की कलकल नदियां बहती हैं !
तेरी बातें मुझसे हर मौज में वो यही तो कहती हैं !
महकता रहे प्रीत का यह खूबसूरत सा हरसिंगार !
कर दिया मैंने उनसे खुलके मोहब्बत का इज़हार !

