अपनी आँखें नम ना करना
अपनी आँखें नम ना करना
आए ज़ब समय प्रीत में जुदाई का :
तो अपनी आँखें नम ना करना !
जज़्बात दिल में रखना और :
प्यार कभी भी कम ना करना !
जीवन की यह भली रीत है :
निःस्वार्थ भाव से प्रीत के मोती पिरोना !
अपने प्रीत को संजो कर रखना :
दिल से कभी अपनों को जुदाई मत देना !
दूर रहकर भी जब दूर ना रह पाओ :
तो यह सत्य भली-भांति समझ जाना !
सच्चे प्रेम में नहीं होता है कोई स्वार्थ :
इस लिए जुदाई के समय कभी मत रोना !
