रक्षण और भक्षण
रक्षण और भक्षण
हर ने हर को दिए, कुछ ऐसे लक्षण
जिस से करे कोई खुद का रक्षण
या करता कोई, किसी का भक्षण।
किसी को मिला कठोर कवच
और किसी ने पाई चोंच तीक्ष्ण।
बस कालचक्र चलता ही रहेगा
फल मीठा अवश्य मिलेगा
बस धीरज धरो पल पल, क्षण क्षण।
देखो पंछी भी लौटे ये जमीं पर
जो इधर उधर हर गगन उड़े,
अंततः लौटे, इसी जमीं पर
जिसमें थी उनके नीड़ की जड़ें।।
