STORYMIRROR

S N Sharma

Romance Tragedy Classics

4  

S N Sharma

Romance Tragedy Classics

मेरी दीवानगी है

मेरी दीवानगी है

1 min
314

इस जहां में हर तरफ दीवानगी है।

मंजिलों की जुस्तजू दीवानगी  है।


माना हो तुम शहंशाह इस शहर के।

दिलों की बादशाहत मेरी दीवानगी है।


होके पैदा खाक से खाक में मिलना मुझे

गगन का सूरज बनू ये मेरी दीवानगी है।


मुश्किलों के पर्वतों से मैं कभी डरा नहीं।

नदी सा बढ़ जाऊंगा ये मेरी दीवानगी है।


बहुत लेकर जमाने से चले जाते हैं लोग।

बहुत कुछ देकर मैं जाऊं मेरी दीवानगी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance