बड़ी खुशामद करवाते हो आजकल
बड़ी खुशामद करवाते हो आजकल
आज अपनी हालत पे हँसी आ गयी,
पर आपकी आँख में क्यों नमी आ गयी !
आप तो सबकुछ लुटाकर फ़क़ीर हुए,
मोहब्बत होते ही ये सादगी कैसे आ गयी !
अक्सर हम तुमसे यूँ ही जो कहते रहे,
उन्हें दोहराते दोहराते शायरी कैसे आ गयी !
यूँ तो पहले ही से बहुत ख़ूबसूरत हो तुम,
हमारा नाम लेते ही और चमक कैसे आ गयी !
हुआ हमें तजुर्बा बहुत दौर ए मुफलिसी में,
कभी अँधेरा-सा था,अब रौशनी कैसे आ गयी !
बड़ी ही खुशामद से मिलने लगे हो आजकल,
इतनी जल्दी ये जुदाई की घड़ी कैसे आ गयी !

