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V. Aaradhyaa

Romance Classics

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V. Aaradhyaa

Romance Classics

बड़ी खुशामद करवाते हो आजकल

बड़ी खुशामद करवाते हो आजकल

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आज अपनी हालत पे हँसी आ गयी,

पर आपकी आँख में क्यों नमी आ गयी !


आप तो सबकुछ लुटाकर फ़क़ीर हुए,

मोहब्बत होते ही ये सादगी कैसे आ गयी !


अक्सर हम तुमसे यूँ ही जो कहते रहे,

उन्हें दोहराते दोहराते शायरी कैसे आ गयी !


यूँ तो पहले ही से बहुत ख़ूबसूरत हो तुम,

हमारा नाम लेते ही और चमक कैसे आ गयी !


हुआ हमें तजुर्बा बहुत दौर ए मुफलिसी में,

कभी अँधेरा-सा था,अब रौशनी कैसे आ गयी !


बड़ी ही खुशामद से मिलने लगे हो आजकल,

इतनी जल्दी ये जुदाई की घड़ी कैसे आ गयी !


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