बरसात की यादें
बरसात की यादें
जब आती थी बरसात
मै बैठा रहता चुपचाप
जब बुंदे गिरती थी एक साथ
सारे मन की या दिल की
गंदगी हो जाती थी साफ
जब बिजली कडकती थी
लगता मानो भडकती थी
कहती हो जाओ तैयार
है बाकी बहुत सफर मेरे यार
जब ख्तम हो जाती थी बरसात
किसानो का मिट जाता था आस
उनकी फसले खूब लहराते
जब वे पवन काे पुकारते
नदिया तालाब खुशी से फुल उठते
जब वे बारिश होते देखते
कहाँ आता अब ऐसा दिन यार
अब तो पुरा बदल चुका संसार।
