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Rashmi Sthapak

Classics

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Rashmi Sthapak

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नवगीत

नवगीत

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जाने कब आएगा सावन

सुगना के जीवन में


सूरज से पहले उठ जाती

संग भोर के चलती

पल-पल मरती जीती पल-पल

साथ चांद के ढलती

सूखा साग खाट भी टूटी

आंसू भरे सपन में


घर की खातिर दर-दर भटके

पर घर में अनजानी

कौन लिखेगा किसको फ़ुरसत 

उसकी करुण कहानी

जनम दुबारा मिले न मुझको

अरज करे मन-मन में


कागज पत्तर दफ्तर-दफ्तर

दे-दे कर है हारी

मूरख वो नादान न जाने

अर्जी है सरकारी

हसरत से देखे है रस्ता

ख्वाबों के आंगन में।


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