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Ravi Ghayal

Tragedy Classics

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Ravi Ghayal

Tragedy Classics

अब तो दिल करता है तांडव हो जाए

अब तो दिल करता है तांडव हो जाए

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बेहयाई जब हद से बढ़ जाए

बेशर्मी सर पे चढ़ जाए

तब तू कर लेना

किनारा रे पथिक

जो बोयेगा सो काटेगा

नकटा बीच बाजार नाचेगा


इक सरूपणखा की नाक कटी थी....

तो रामायण हो गई

रावण की लंका....

न जाने कहाँ खो गई

राम मंदिर बन गया

अब योग स्थल बाकी है

दिन में धर्मात्मा 

रात में साकी है

कितनी मैली हो गई

अब वर्दी खाकी है।


इस देश का भविष्य 

नजर आ रहा है

सोच कर के कलेजा मुंह को आ रहा है

जी बहुत घबरा रहा है

सारा देश पछता रहा है


नमो नमो पार्वती

ओम नमो शिवाय

अब तो दिल करता है

तांडव हो जाए

औ सृष्टी रचयिता

मेरे मौला, मेरे ब्रह्मा....


नारद को बुलाओ

विष्णु तक

कोई सन्देश पहुंचाओ


अल्लाह को भी बुलाओ

पूछो.....

क्या अभी कयामत आने में

कोई कसर बाकी है

कब धरती फटेगी

कब होगा अंत

कहाँ गए

वो भारत के संत

जिन्होंने मर्यादा बनाई थी

बनाई ही नहीं निभाई थी

जिन के बल पर 

देश महान था

सोने की खान था


विज्ञान...

धर्म, मर्म,

कर्म,शर्म

सब-में अग्रणी था

सब को बुलाओ

कोई ताबीज बनवाओ

इस देश की नजर उतरवाओ।


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