STORYMIRROR

Ravi Ghayal

Abstract Fantasy Others

4  

Ravi Ghayal

Abstract Fantasy Others

अश'आर-ऐ-जज़्बात

अश'आर-ऐ-जज़्बात

1 min
404

मुझे कुछ कहना है 

किसे कहूं 

कैसे कहूं 


किन अल्फ़ाज़ से कहूं 


जज़्बात ...लफ़्ज़ों के मोहताज नहीं 


तो जज़्बातों को ब्यान 

कैसे करूँ 


इक शोख हसीं ....

मुकाम आया है 


जेहन में 

तेरा नाम आया है 


डरता हूँ लब तक लाने से 

सुन कर तुम्हारे रूठ जाने से 


कैसे तुम्ही से 

तुम्ही की बात कहूं 


किसे कहूं 

कैसे कहूं 


किन अल्फ़ाज़ से कहूं..


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract