जिंदगी
जिंदगी
न जाने कौन सा दिन,
जिंदगी का आखिरी हो जाए।
अक्सर सोच कर ये बातें,
मन मेरा डर जाए।
आंखें बंद हो जाए,
या फिर खुली रह जाए।
सुबह से शाम हो कैसे,
पता ही नहीं चलता।
न जाने किस सुबह
जिंदगी की शाम हो जाए।
कितना प्यारा है अपनों का साथ,
यह तीज- त्योहार यह व्रत- उपवास।
न जाने कौन से दिन,
आखरी ये साथ हो जाए।
कभी लगता है एक दिन ना उठी तो,
रुक जाएगी दुनिया।
मगर कभी किसी के लिए,
रुकती नहीं दुनिया।
जब तक हूं यहां पर,
सोचती हूं पा लूं सब खुशियां।
न जाने किस पल, किस क्षण ?
गमों से मुलाकात हो जाए।
जिंदगी हसीन है इतनी,
कि लगता है कभी यह खत्म ना हो,
बस यूं ही चलती चली जाए।
चलती चली जाए।