STORYMIRROR

Kanchan Shukla

Abstract

2  

Kanchan Shukla

Abstract

लाल गुलाब

लाल गुलाब

1 min
244

कभी जो लाल गुलाब दिए थे,

एक दूजे को हमने


आओ उन्हें फिर से ताजा कर दें

प्यार पुराना होकर निखर गया है


पर कुछ -कुछ बिखर गया है

आओ फिर से इसे नया सा कर दें


कुछ पल जो पीछे छूट गए हैं,

बहुत प्यारे हैं मुझे


लौटा सके जो एक दूजे को,

आओ थोड़ी कोशिश कर ले।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract