इंसाफ
इंसाफ
आज इंसाफ कटघरे में हैं
फूल असमय तोड़ लिये जाते हैं
पांव के नीचे कुचल देने के लिए
अंधा कानून आंखे मूंद लेता है
झूठ के पक्ष में खडा दिखाई देता है
सर्वत्र फरेब, धोखा व
प्यार के नाम पर बेवफाई का बाजार गर्म है!
निर्दोष कब तक शहीद होंगे
अपराधियों पर नकेल कौन डालेगा ?
इंसाफ की आस में, सत्य को कितने इम्तिहान देने होंगे!