इंसाफ की लड़ाई
इंसाफ की लड़ाई
खबर मिली हैं सबसे,
कि मशाल जल रहा है,
ज़रा पास देखो अपने,
वो शहीद साथ चल रहा है।
मरा नहीं हैं सैनिक,
दिल में अमर रहेगा,
इंसाफ माँगने को,
देश बेसबर रहेगा।
पाक ढूंढता रहेगा,
बचने के बस बहाने,
लड़ेंगे क्या वो बुझदिल,
हालत उनकी खुदा ही जाने।
दिल रो रहा है सबका,
तन भी तिरंगे से ढका हुआ है,
जिसे चूमती थी माँ वो,
सर धड़ से अलग रखा हुआ है।
बैठी हुई है कब से,
ज़रा हिल भी नहीं रही है,
वो राखी वाली कलाई,
बहन को मिल ही नहीं रही है।
वो खेलना खिलौना,
आँखों में घूम रहा,
वो पिता भी अब बेचारा,
बेटे की बस चमड़ी को चूम रहा है।
कौन रहेगा अब उस घर में,
जिसे सपनों से बुना गया था,
कोई और है जो बेसुध रो रही,
जिसे उसके लिए चुना गया था।
पर अब सब्र भी न होता,
इधर रूह भी जल रही है,
न जाने अपनों में वो,
कौन धोखेबाज पल रहा है।
न जाने किस मुकाम के,
वो घमंड में चूर रहते हैं,
भारत बस रूका हुआ है क्योंकि,
उस मुल्क में भी कुछ बेकसूर रहते हैं।।