इंसानियत
इंसानियत


बनने से पहले हिन्दू या मुसलमान
हर आदमी शायद था सिर्फ इंसान
आया था जब इस जहां में
कैसे पता वह क्या था।
लहू तेरा था या मेरा
रंग तो लाल ही था
फिर किसने तुझे बताया
तू हिन्दू है या मुसलमान।
खुदा ने बनाया इंसान
या इंसान ने बनाया खुदा
यह तेरा खुदा है
यह मेरा खुदा है।
कभी सोचा जानवरों का
खुदा है कहाँ
वह सब तो फिर भी
साथ साथ रहते हैं।
तू तो जानवर से भी
बदतर हो गया इंसान
तू तो हर घड़ी जाने
कितने टुकड़ों में है बंटता।
पैदा तो तू हुआ था इंसान
मजहबी जुनून ने
बना दिए तुझको हैवान !