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Taj Mohammad

Abstract Romance Tragedy

4  

Taj Mohammad

Abstract Romance Tragedy

अल्फाज़ ए ताज भाग-1

अल्फाज़ ए ताज भाग-1

8 mins
321


1.


तमाशा बन गया हूँ तुम्हारी महफ़िल में आकर।

खूब इज्ज़त दी तुमने हमको मेहमान बनाकर।।


2.


मैँ जानकारी रखता नहीं कि यह जमाना मुझे क्या समझता है।

किस किस को देखूं हर किसी से मेरा खयाल ना मिलता है।।


3.


कहा था तुमसे हमको चाहो या ना चाहो सनम।

एक दिन जाएंगे तुमको अपने गम में रुलाकर।।


4.


मेरे महबूब तुझे क्या हुआ है जो आज इतना मुस्कुरा रहा है।

ऐसा होता है तभी जब दिल के सेहरा में जमाने बाद इश्क़ बरसता है।।


5.


मेरे महबूब हम तेरी मोहब्बत में सभी हदों से गुजर जाएंगे।

कोई जिद ना है तुझको पाने की बस अपने दिल से है हम मजबूर।।


6.


मांगते क्या हो दीवानों से चाहने के तुम सुबूत।

परवाने ने की वफ़ा खुद को शम्मा में जलाकर।।


7.


मत लो मेरे सब्र का यूँ इम्तिहान इतना ज्यादा।

तरस ना जाओ कहीं तुम हमसे मिलने मिलाने को।।


8.


ज़िंदगी में तुम हमको ना समझ सके कोई भी गम नहीं दिल में।

पर इंतज़ार हम करेंगे तेरा तुम चले आना मेरी मय्यत पर जरूर।।


9.


ज़िंदगियाँ लुटती है यहाँ इस शहर में यूँ तो रातों दिन।

तू अनजान है इन सबसे से मेरा फर्ज था तुझको बताना।।


10.


तुमको समझाए तो समझाए कौन तुम हो बड़े मगरूर।

गलती नहीं है इसमें किसी की भी क्योंकि तुम्हारी परवरिश में ही है गुरूर।।


11.


हर चीज है बाज़ार में बिकने के लिए इनसानों की दुनिया में।

एक माँ के ही रिश्ते की मोहब्बत का कोई भी बाज़ार ना लगता है।।


12.


तुमने सोचा हम यूँ ही चुपचाप अपना प्यारा शहर छोड़ जायेंगे।

वक़्त का तकाजा है खामोशी आगे मौत का मंजर मचाएंगे।।


13.


ऐ दिल चल फिर से उनसे इश्क़ किया जाये।

एक बार और प्यार में उनके रोया हँसा जाये।।


14.


आवाम नेताओं से ऊबी है फिर भी दरिया दिली अपनी दिखाती है।

थक हार कर कैसे भी हो जनता अपना वोट डालकर आती है।।


15.


कोई जाकर जरा समझे दे उनको रिश्तों को निभाना।

यूँ लड़ना बेवजह हर वक्त मसले का हल होता ना सदा।।


16.


थोड़ा वक़्त और रुक जाओ दोस्तों घर को अपने जाने के लिए।

कबसे खड़े है उनके मोहल्ले में खुदा उनका दीदार तो कराये।।


17.


सभी को दिख जाएंगे यकीनन तेरे गुनाह इस वारदात में।

एक माँ ही हैं जो दोष ना देगी तुझे यहाँ सब की तरह।।


18.


उनकी शानो शौकत पर होता था भरम।

मिलने पर पता चला आदमी हैं ज़मीनी।।


19.


वह रहता है हक-ए-ईमान पर आवाम की ख़ातिर।

उसको पता है फिर भी कुछ लोग उसे बदनाम करेंगे।।


20.


कब से बचा के रखा है इक तेरे लिए हमनें दिल।

ले लो इसको कि अब आरजूऐ और दबेंगी नहीं।।


21.


किसी रिश्ते को ना बांधो रिवाज-ओ-कानून के दायरे में ।

किसी बच्चे को यूँ मां से ऐसे दूर करना भी एक सजा है।।


22.


पढ़ा जाएगा वह किताबों में ताज मरने के बाद भी।

दुनिया के लिए बन गई उसकी हस्ती बेमिसाल है।।


23.


मेरा उनसे मिलना किसी काम का नहीं।

सुना है मैंने सबसे वह तुम्हारा है करीबी।।


24.


ना मालूम है जिंदगी के मसाईल उनको।

पता है उन्हें कि वे खुद से दगा कर रहे हैं।।


25.


इक जानी अनजानी सी कमी है जिंदगी में मेरी।

वैसे तो खुदा ने नवाजा है हमें बड़ी रहमतों से।।


26.


मिलता नही है हमको कहीं अब खुश बशर।

हर दिल मे है ना जानें कितना दर्द।।


27.


सनम देखो मेरा बड़ा है अश्किया।

दिल लेकर हमको जख्म है दिया।।


28. 


मानते है दुनिया में उनको दीन की राह में मिली आजमाइशें बहुत।

पर क़ुरबतों से उठकर हश्र में इनकी रूहें जन्नत में मक़ाम पाएंगी।।


29. 


शिकायत थी उनकी कि हम उन्हें मिलते नहीं।

तो बन के खुशबू उनके बदन की महका जाये।।


30.


हैरान हूं मैं उसके यूँ पहचानने से।

माँ सब कुछ कैसे जान जाती है।।


31.


इक तोतली गुड़िया है हमारे भी घर पर।

जो सबके लबों पर मुस्कान लाती है।।


32.


हर शम्त ही उठा है ताज ये शोर कैसा?

देखो तो बाहर निकलकर शायद कयामत आयी है।।


33.


आये थे वह कत्ल करने हमको।

जो मेरे शिफा-ए-गम बन गए है।।


34.


जानता था मैं कि वह परेशान हो जाएगा।

ना जानें उसको कैसे फिर भी मेरे जख्म दिख गए है।।


35.


हर रिश्ता बंधा है मोहब्बत की नाज़ुक डोर से।

ऐसा ना हों टूट जाये वह तेरी खींचा तानी से।।


36.


खत लिखकर भेजा है तुमको संदेशा पढ़ लेना।

कह तो देता सामने भी पर तुमको रोता देख पाता नही।।


37.


तुमको लगता है यह मुक़ाम बस तेरे दम पर हो गया है।

बहुतों ने की है तेरी कामयाबी की दुआएं।।


38.


तोहमत लगाकर अच्छा ना किया तुमने मुझ पर।

कुछ तो ख्याल कर लेते अपने रिश्ते का।।


39.


पोते ने साफ़ कर दी देखो दादा जी की ऐनक।

शायद उनको यह चाहता बहुत है।।


40.


गौर से देखों नज़रे भी बोलती है।

तुम्हे क्या लगा यह बस सोती जागती है।।


41.


चले जाया करो जल्दी शाम को अपने घर।

दो आंखे तुम्हारा रास्ता देखती है।।


42.


आ अब चले साकी मयखाने से अपने घर।

रहना तो वहीं ही है हमें उम्र भर।।


43.


इस बार शरारत दिखती नहीं उसके बताने में।

शायद उसको सच में है कोई दिक्कत।।


44.


अब तो तआरुफ़ दे दो तुम अपना हमें।

हमको तो पढ़ लिया है तुमने पूरा का पूरा।।


45.


अम्मा ने दे दी सारी मिठाई छोटे को।

बड़ा होना भी यूँ दिक्कत देता है।।


46.


तेरी तस्वीर ही काफ़ी है दिले सुकूँ के लिए।

मिलना हमारा अब मुमकिन नहीं।।


47.


हम तो बस पूछने आये थे उनकी ख़ैरियत।

हमें क्या पता था वह बदनाम हो जायेंगे।।


48.


कुछ तो तुमने और कुछ तो ज़माने ने उड़ाया हमारा मज़ाक।

अब तो मेरी ख़ामोशी ही देगी इसका तुम दोनों को जवाब।।


49.


आपको आने में देर हो ही जाती है।

यह आदत है तुम्हारी या इत्तिफ़ाक़ है।।


50.


ख़ामोशी भी अज़ब होती है।

चुप रहकर भी सब बोलती है।।


51.


कभी हमसे भी मिलो यूँ अपना समझ कर।

इतने भी बुरे नहीं है हम यारों समझने पर।।


52.


तरकीबें तो तुम्हें आती है सबको फसाने की।

पर इस बार क्या करोगे सामने तुम्हारे खुदा जो है।।


53.


इस गली में सौदा होता है तन की आबरू का।

मत आया कर इधर तू वरना बेवजह ही बदनाम हो जाएगा।।


54.


गुनाहों के सहारे अमीर बनकर अब वह दीनदार बन गए।

कल तक थे जो गुमनाम हर दिन के अब वह अखबार बन गए।।


55.


मेरी ज़िन्दगी के हर मौसम में वह मेरे जान ए बहार बन गए।

मैं जान ही ना पाया कब वह हमारी रूह ए जान बन गए।।


56.


तुम्हें लगता है कि तुम इस आवाम की आवाज़ बन गए।

खुशफ़हमी है तुम्हारी कि इतना लिखकर तुम कलाम बन गए।।


57.


खामोश शख्सियत पर ना जाना मेरी दुश्मनों।

गर आया ज़िद पर तो मिट जाओगे बुज़दिलों।।


58.


क्यों करते हो इतनी ज्यादा मोहब्बत तुम हमसे।

ये इश्क़ है जालिम इसमें दिले सुकूं खो जाता है।।


59.


जल्लादों से कह दो रुक जायें फकत कुछ लम्हों के लिये वो सब।

दीवाना देख ले इक बार उनको पल भर के लिए कि वह आयें हैं।।


60.


वह पढ़ता है अक्सर नमाजें तन्हाइयों मे जाकर तन्हा।

चमक जो है उसके चेहरे पर वो नूर है खुदा की इबादत का।।


61.


जलील ना करते हम यूँ ही चले जाते दिल को समझाकर।

और अहसास भी ना कराते हम तुमको कुछ भी बताकर।।


62.


तुम करके तो देखते वफ़ा हम तुम्हें मिल जाते।

बेबस थे हम बड़े करते ही क्या जो दूर ना जाते।।


63.


ये दोज़ख की आग उसको क्या जलायेगी।

उसके पास माँ की दुआएँ आना है जारी।।


64.


कर लेता हूं सब पे अक़ीदा मैं बहुत जल्द।

क्योंकि खुदा खुद है मेरे पास मेरी रूह में।।


65.


ज़िन्दगी बदल गयी मेरी यूँ मज़ाक मज़ाक में।

मुझे क्या पता था ऐसा नशा होता है शराब में।।


66.


ना क़ातिलों सा था ना फ़रिश्तों सा था।

कोई तो बताये हमें वो शख्स कैसा था।।


67.


ऐ वक़्त ज़रा रुक जा हम भी तैयारी कर ले।

सुना है आज मेरे महबूब आ रहे है हुजरें में।।


68.


सुना है वो मोहब्बत का है बड़ा गहरा समंदर।

चलो डूब कर हम भी देखते है उसके अन्दर।।


69.


आह मज़लूम की अर्श तक जाएगी।

खुदा की खुदाई को फ़र्श पर लाएगी।।


70.


मिल जाएगी तुमको भी जन्नतुल फिरदौस।

गर तुम उस गरीब को दिलों जाँ से हँसा दो।।


71.


चले आया करो शाम को तुम जल्दी घर।

इंतज़ार तेरा करती है अपनों की नज़र।।


72.


बनावट दिखती नहीं है उसके बताने में।

शायद सच्चाई है उसके इस फसाने में।।


73.


चलो फिर से अपने बचपन को जिया जाए।

खेल खेल में कुछ हारा तो कुछ जीता जाए।।


74.


क्यों तुमने इतनी जहमत उठाई ख़ंजर से हमको मारने की।

हम दे देते अपनी जान ऐसे ही बस जरूरत थी तुम्हें मांगने की।।


75.


हम तो पूछने आये थे यूँ ही बस आपकी खैरियत।

हमें ना पता था आप देखोगे हमारी हैसियत।।


76.


गौर से देखो नज़रें बोलती है।

दिल के सारे राज खोलती है।।


77.


तेरी इक तस्वीर ही काफी है दिले सुकूँ के लिए।

अब यह नादां ना तड़पेगा तुमसे मिलने के लिए।।


78.


यूँ तो सब की ही मुरादें पूरा कर दी खुदा ने मुझको छोड़कर।

शायद मेरा तरीका ही गलत था ऐसे मांगने का।।


79.


ऐ ज़िन्दगी चलों चलें हम वहाँ पर।

सुकूँ के पल हमको मिले जहाँ पर।।


80.


मेहमान बन कर यूँ ज़िन्दगी कहाँ कटती है।

जहाँ में जीने के लिए एक घर भी जरूरी है।।


81.


तेरी मुहब्बत को जिया तेरी नफरत को जिया।

हमने तो जी भर के यूँ तेरी फितरत को जिया।।


82.


उनको भी ज़िन्दगी जीने का तरीका आ गया,

हमको भी रिश्ते निभाने का सलीका आ गया।

कहने सुनने में तो दोनों यूँ एक से ही लगते है,

पर अलग दोनों में जीने का नज़रिया आ गया।।


83.


ना जानें खुदा ने उसको क्यों अता की जन्नत।

किसी काम की ना रही मेरी इबादतों की मन्नत।


84.


हमारी ज़िन्दगी का कुछ हासिल ना हुआ।

कश्ती को हमारी कोई साहिल ना मिला।।


85.


लो अब तो वजह भी दे दी तुमको मारने की हमने।

देखो खुदा से मांग ली अपनी दुआओं में मौत हमने।।


86.


उनको छूने से लगता है डर कहीं वह टूट ना जाये।

इशारा तो कर दे महफ़िल में पर कहीं वह रूठ ना जायें।।


87.


कौन से बाज़ार से तुमने नफरत खरीदी है।

बाताओ क्या वहाँ मोहब्बत भी बिकती है।।


88.


कैसा है मेरा इश्क़ ए जुनूँ कैसी है मेरी कैफियत।

दिल को क्या हुआ है हर पल पूछता है तेरी खैरियत।।


89.


लो तुम भी आये और यूँ ही गैरों से चले भी गए।

सबकी तरह तुम भी हमको रुसवा ही कर गए।।


90.


कहते है जो देते है हम दुनिया को बदलें में वही हमको मिलता है।

गलत है यह हमारे साथ तो कुछ भी ऐसा ना हुआ है।।


91.


मोहब्बत में आशिकों तुम सब इतना

क्यों कर गुज़रते हो।

इसके अलावा और भी ज़रूरी काम है

वो क्यों नहीं करते हो?


92.


उनको शिकायत है कि हम बहुत बोलते है उनसे मोहब्बत के लिए।

गर खामोश हम हुए तो देखना तरस जायेंगे वह हमें सुनने के लिए।।


93.


अल्फ़ाज़ों की कारागरी हमको आती नहीं।

लो सीधे-सीधे कहते है हमें आपसे मोहब्बत है।।


94.


इक अजब सी मुझ पर वहशत है तारी।

जबसे हुआ है इश्क़ तब से है ये बीमारी।।


95.


लोगों में यह कैसी वहशत है,

हर दिल में जैसे कोई दहशत है।

जिसको भी देखो डरा हुआ है,

शहर में फैली हर सूँ कैसी नफरत है।।


96.


डरते है तुम से, कहीं मेरे दिल को तुम से मोहब्बत ना हो जाए।

अब ना पढ़ेंगे तुझको ज्यादा कहीं तू मेरी

आदत ही ना बन जाए।।


97.


अरे वाह क्या अजब इत्तेफ़ाक़ है,

हमारा यह घर भी तुम्हारे पास है।

सोचता हूँ जाने कैसा अहसास है,

तभी तो लगता तू हर पल पास है।।


98.


जब देखो तब नजरों को अश्क़ देकर जाते हो।

अक्सर अपनी कड़वी बातों से हमको जलाते हो।।

मत लो मेरे सब्र का यूँ इम्तिहान इतना ज्यादा।

तरस ना जाओ कहीं तुम हमसे मिलने मिलाने को।।


99.


यह मेरा तुम्हारा क्या है।

तुम मैं अब हम है, यह सबकुछ हमारा है।।


100.


यह शहर है हुस्न वालों का यहाँ दिल ना लगाना।

तुम हो अभी मासूम इश्क के नाम पर धोखा ना खाना।।




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