क्या फिर मिला होगा तुझे
क्या फिर मिला होगा तुझे
मेरा पहला प्यार था तू,
मेरा गर्म सा एहसास और वही पहला प्यार...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
मेरी नज़र का वो तुझे देखना,
कुछ प्यार भरी शर्म से...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
तेरी हर गलती पर मेरा मुस्कुरा देना,
ऐसा पागलपन...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
मुझसे ही नहीं मेरी बातों से भी मोहब्बत थी तुझे,
तेरी ही बातों का साथी...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
मेरे प्यार का नटखट इज़हार,
वो पहली बार- वो आखिरी बार...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
चुप रहने की आदत नहीं है मेरी,
लेकिन तेरी हर बात सुनने का इंतज़ार...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
तेरे हाथ को सदा थामे रहना,
कुछ हिफाज़त से तो कुछ डर से...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
मैंने कुछ भी तो नहीं छुपाया था तुझसे,
अपने हर जज़्बात को लफ्ज़ों में पिरो देना...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
रूठना तो आता ही नहीं था मुझे,
पर तुझे तो हर बार मनाया था ना,
ऐसा मनाने वाला...क्या फिर मिला होगा तुझे ?
जाते हुए हर बार तुझे मुड़ कर देखना,
आदत से मजबूर वो अधूरा-सा हमसफर...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
तुझे ढूंढते-ढूंढते शायद खुद को ही खो दिया था मैंने,
मेरे अंदर का बचपन...
क्या फिर मिला होगा तुझे ?
सर्दी में रोशनी तो आज भी दिखती है,
पर धूप की गर्मी गायब है,
मेरा पुराना गर्म-सा एहसास...क्या फिर मिला होगा तुझे ?
आँखों के आँसुओं को बर्बाद नहीं किया था,
बस मोतियों की तरह बिखरा दिया था,
वैसा एक भी मोती...क्या फिर मिला होगा तुझे ?
दुनिया के सामने बेईमान बन जाती हूँ मैं,
ताकि तुझ पर कोई इल्ज़ाम न लगे,
वफ़ा का ऐसा नमूना...क्या फिर मिला होगा तुझे ?
लोग कहते हैं मैंने टूटकर प्यार किया था तुझे
पर तू जो दिल के हज़ार टुकड़े करके गया,
उनमें से कोई एक भी टुकड़ा...क्या फिर मिला होगा तुझे ?