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"निर्मूणी"@ संजीव कुमार मुर्मू

Abstract Tragedy Inspirational

4.5  

"निर्मूणी"@ संजीव कुमार मुर्मू

Abstract Tragedy Inspirational

रूठी गौरैया उड़ गई....

रूठी गौरैया उड़ गई....

10 mins
471


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


गांव के कच्चे आधे कच्चे

पक्के आधे पक्के मकान

बड़ा आंगन कच्चे आंगन

कच्चे मिट्टी की दीवार चूल्हा 

पीली मिट्टी गोबर मिला


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


कहीं कहीं तिनके भूसा

रूई या कपड़ा लपेट 

गेरू हल्दी सी आकृति

कच्ची मिट्टी सोंधी खुशबू


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


आंगन सुंदर साफ सुथरा 

ठंडा रहता खड़ा नीम का पेड़

दीवारों में छोटी छोटी आले

छोटी छोटी आले और दीवारों 

ढेर सारी चिड़िया गौरैया रहती


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


घर आंगन दीवार मांडणा

सजती रहती घर आंगन 

बैठी मां दादी चाची ताई

चरखा कातती बैठी बैठी

कलात्मक चीज़े बनाती


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


घर बार की बाते करती रहती

तीज त्यौहार लोक गीत गाती

पुरानी संस्कृति की हिस्सा

उधर छोटी सी चिड़िया गौरैया

थी इसी संस्कृति की हिस्सा


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


आंगन का पेड़ उस पे बैठी

आलो में दुबकी आराम करती

मुंडेर पे ची ची करती शोर

घर आंगन ढेर सारी गौरैया 

दाना रोटी चुग्गती गौरैया


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


प्रकृति की अनुपम भेंट गौरैया

थीं नहीं पालतू पालतू जैसे ही

अपनापन सा था संग गौरैया

मुंडेर पर बैठ आंगन में उड़ती


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


ची ची करती शोर मचाती

दादी नानी मां से हक मांगती

रोटी के टुकड़े मुट्ठी भर अनाज

बदले में मनोरंजन करती


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


गीत सुना बनते परिवार के हिस्सा 

नित्य दिखा एहसास दिलाती

फुदकते नाचते गाते चिड़िया

गहरा रिश्ता मां दादी संग


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


अनाज पीसने से पहले

साफ होती आंगन में

बहुत सी गौरैया आसपास 

ची ची करती मां उन्हें देती

गेहूँ बाजरा ज्वार या गेर


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


आंगन बैठ खाना खाता

ढेर सारी नन्ही गौरैया

मंडराती ची ची करती

रोटी की छोटी टुकड़े

हमसे रोज मांगती


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


याद है कई बार गौरैया

मां के कांधे सिर पर बैठ

पर हाथ नहीं आती थी

रोटी के टुकड़े तोड़

उड़ जाती थी थाली से


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


दीवारों में बने आलो

छप्परों या कड़ियों बने

खाली जगह वो अंडे देते

नर मादा जिम्मेदारी निभाते

चूजो को चुग्गा रक्षा करते


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


छोटी सी मासूम गौरैया

उसकी गतिविधियों से

उसके गीत की चहचाहट

घर रौनक दिनभर चलती 


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


छोटे बच्चे देख पकड़ने दौड़े

मां रहती दिन भर बतियाती

उन्हें देख हम मुस्कराते रहते

दादा दादी ढेर सारी किस्से 

कुछ हकीकत कुछ दंत कथाएं


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


बचपन के वो दिन याद

छोटे थे जाते बाजरे खेत

खेत ढामचा गोपियां मचान 

बाजरे की सर्टीया पकने को

सैकड़ों नहीं हजारों की संख्या


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


चिड़ियों की टोली एक साथ

टूट पड़ती बाजरे की फसल

किसान ढामचा ऊपर खड़ा

चिड़ियों को उड़ता एकसाथ

फिर आती फिर उड़ाई जाती 


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


ना जाने गौरैयों की टोली

कहां गायब हो गई.......


अब किसान ना बनाता

ढामचा बाजरे के खेत

ना ही उड़ता पक्षियों को

जरूरत ही नहीं ना आती

सैकड़ों गौरैयों की टोली 


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


ना हम खुश ना ही किसान 

चिड़ियों से लगाव खो उदास 

फसलों को नष्ट करनेवाली

किट पतंगों कीड़ों मकोड़ो

खानेवाली चिड़िया रूठी


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


खेतों में बने कोटड़े

आगे एक बड़ा छप्पर

आठ दस घोसले बने

चूज़ो की चहचहाहट

चिड़ा चिड़ी व्यस्त पालने

आते जाते दाना चुग्गाते


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


गांव की बनी में खलिहानों में

मंदिरों में जोहड़ सरोवरों पेड़ो पे

बड़ी बड़ी झारियां रहती

असंख्य चिड़िया अनगिनत


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


एक गौरैया मात्र पक्षी नहीं

है हमारी जीवन की हिस्सा

घर के कीड़ों मकोड़ों साफ

प्रकृति संरक्षण पेड़ों की वृद्धि


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


पेड़ो के बीज खा दूर तक

फैलाने कमाल का काम

सदियों से करती आ रहीं

इतने पेड़ नहीं लगा पाते

जितने पक्षी बीजों फैलाते


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


गौरैया प्रजाति हो गई खत्म

वनों को भरी नुकसान 

उगेंगे नए पौधे कम

हमारा रिश्ता अटूट क्यों?


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


वो हम से क्यों रूठ गई...?

इसके जिम्मेदार भी हम

विकाश की सीढ़ी दर सीढ़ी

पशु पक्षियों की परवाह नहीं


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


कच्चे मकान की जगह पक्के

आंगन भी खत्म घर पथरीली

आंगन पेड़ गायब आले खत्म


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


एक दो प्रकृति प्रेमी घर हिस्से

कृत्रिम घोसले अनुकूल नहीं

ऊंचाई पक्षियों की जरूरत

रहने छुपने अंडे देने पालने

अनुकूल जगह न मिलना


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


बाहरी पेड़ झारियों की कमी

जंगल कटे दिन प्रति दिन

बढ़ती गरमी और अधिक  

अंधाधुंध जहरीली छिड़काऊ


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


मोबाइल टावरों की संख्या 

खतरनाक जानलेवा रेंज

पक्षियों के प्रति हमारी 

उदासीनता लापरवाही

गौरैया ही नहीं अन्य पक्षी


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


पहुंचे खतरनाक स्थिति

दूसरी ओर उद्योग फैक्टरी

अनियंत्रित वाहनों के प्रदूषण

हवा जहरीली प्रजनन असर


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


था हमने मां से सीखा

पक्षी भी हमारे अपने

दाना चुग्गा देना है धर्म

धर्म कितना पता नहीं


दाना पानी रोटी दो टूक 

डाल के मन की शान्ति 

वह धर्म से शायद बड़ा


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


फसल कटाई समय कहीं

दिखे पक्षी कोई घोंसला

वह जगह सुरक्षित छोड़ते

हाली हाल जोतते समय

टिटहरी मोर अन्य पक्षी अंडे

दिखे जगह जोतने बोने छोड़ते


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


लोग हरे पेड़ काटने हिचकते

बुजुर्ग कहते छोटे पेड़ औलाद

बड़े पेड़ पिता समान जैसे


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


देसी पेड़ लताओं पशु पक्षियों

भूलने लगे नाम और पहचान

यही कारण पक्षी रूठे दूर भागे

गौरैया अन्य पशु पक्षी आ सकते

बच सकते अपने हो सकते


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


करके थोड़ा सा बेहतर प्रयास

आसपास ढेर सारी छोटे बड़े

उगाए पेड़ पौधे फूलो के पौधे

पानी की धारा बागों की संख्या

पेड़ ऐसे बना सके घोंसला

फूल फल सघन छाया मिले


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


कुछ पेड़ झाड़ीनुमा लताएं संग

घर के बाहर आले कृत्रिम घोंसले

सकोरों में पानी माहौल ऐसा

सुरक्षित निडर चुग्गे दाना पानी


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


नई हरी हरियाली दुनिया

आए ढेर सारी प्यारी पक्षी

पक्षियों संग अपनापन

पक्षियों चहचहाहट होगी 

स्वागत रंग बिरंगी पक्षी

आसपास खुशियां संग


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


सत्य हैं पक्षी खत्म

जीवन अंधकारमय

पक्षीय प्रजाति लुप्त

साथ बहुत कुछ खत्म


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे


अपनाते है बचाते हैं प्रकृति

प्रकृति अपने ढंग खिलने देते

गौरैया संग अन्य को बचाते है

इन्हें बचा अपने आप को बचाते


तोता उड़ मैना उड़ चिड़िया उड़

बचपन का ये खेल याद सबको

खेतों से गांवों से कस्बों से

शहरों से जैसे बसंत गायब


खेल खेल में उड़ गई .......

हल्का भूरा काले सफेद 

धब्बे वाली गौरैया

हमसे रूठ गई गौरैया......

क्यों रूठ गई गौरैया हमसे



निर्मुणी@संजीव कुमार मुर्मू


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