इंसान की जिन्दगी
इंसान की जिन्दगी
ऐ काश की जिन्दगी में नफरत
का नामों निशान न होता
हर इंसाँ की जिन्दगी में
करिश्मा ये जहां होता।
न कोई बुराई की चाहत रखता
हर कोई मदद की आदत रखता।
न धन का अभियान होता
प्रेम ही इंसान की पहचान होता।
न गरीबी का अभिशाप होता
न दुःखों का जीवन में विलाप होता।
हर चेहरा खुशियों का खजाना होता
एक दूसरे से मिलने का बहाना होता।
ऐ काश की मंदिरों में भी
अल्ला मस्जिदों में भी भगवान होता
न इंसान खुद को बडा समझता और
हर इंसान का दुनिया में सम्मान होता।
आओ मिलकर नयी सोच को जगायें
हम सब एक हैं मिलकर नया भारत बनायें।