बचपन
बचपन
पिता के कंधे में चढ़ता माँ के आंचल में खेलता मेरा बचपन
दादी की आंखों का तारा दादा जी का पोता प्यारा मेरा बचपन।
गायों के संग जंगल जाता लकड़ी के जो घर है बनाता मेरा बचपन
दोस्तों के संग मस्ती करता बीना बात के मैं जो हंसता मेरा बचपन।
माँ के आंचल का मैं खिलौना चोट लगे कभी हंसना रोना मेरा बचपन
अब याद आता है मुझे रूलाता है कोई ढूंढ के ला दो मेरा बचपन।
बस अब यादों में है मेरे दिल की बातों में है मेरा बचपन
न मिलने अब बहन आयेगी मुझे मेरे प्यारे भैया कौन बुलायेगा मेरा बचपन।
