जलियावाला बाग
जलियावाला बाग
जीवन के इन चन्द क्षणों को भूल नहीं मैं पाता हूँ
गोली से छलनी सीना था मौन खड़ा रह जाता हूँ ।
सोच रहा था किसको देखूं दिल की व्यथा किसे सुनाऊँ
छोड़ के इनको सीने से मैं जाने अब कहाँ को जाऊँ।
गोली की आवाजें आयी रोक नहीं मैं पाता था
मौन खड़ा इस दृश्य को अपने सीने में छुपाता था।
जनरल डायर की गोली ने रहम नहीं अपनाया था
खून से मेरे सीने को लहू लुहान बनाया था ।
भूल नहीं सकता उस दिन को वो दिन मुझ पे दाग है
नाम वही रख डाला मेरा जलियावाला बाग है।