STORYMIRROR

Naval Joshi

Abstract Others

3  

Naval Joshi

Abstract Others

भगवान

भगवान

1 min
155

जहाँ जिन्दगी की हार वहाँ तूने विश्वास जगाया है     

जहाँ अंधकार की गहराई वहाँ तुम्हें पाया है।      

न जाने जिन्दगी में गहरा विश्वास है             

एक तू ही तो है जिस पे मुझे आस है।           

जब जब भी हारा हूँ जिन्दगी में बस सामने तुम्हें पाया है                                

गया पल ना सही एक अच्छा पल लौट के आया है।   

जिन्दगी मैं तेरे होने का आभास ही तो है         

हार कर भी जीत जाता हूँ विश्वास ही तो है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract